1 February Din Mahima

कल्पना चावला को श्रध्धांजली

उनकी कहानी कल्पनाओं जैसी ही है. भारत के गांव में पैदा होकर नासा में कदम रखना और फिर अंतरिक्ष का चक्कर लगाना. कल्पनालोक की कल्पना चावला आज के दिन अंतरिक्ष में विलीन हो गईं, लेकिन धरती पर लाखों कल्पनाएं छोड़ गईं.

16 दिन अंतरिक्ष में बिता कर एक फरवरी, 2003 को तीव्र गति से लौटता कोलंबिया यान धरती से सिर्फ 16 मिनट की दूरी पर था. तभी आसमान में बिजली कौंधी, धमाका हुआ, आग का शोला निकला और सब खत्म हो गया. अमेरिका, भारत और पूरी दुनिया स्तब्ध रह गई. भारतीय मूल की अमेरिकी कल्पना चावला सहित सात अंतरिक्ष यात्री सदा के लिए आकाश के हो गए ।

सात अंतरिक्ष यात्रियों में दो महिलाएं थीं, लॉरेल क्लार्क और कल्पना चावला. हरियाणा के करनाल में पैदा हुई चावला बच्चियों और महिलाओं के लिए मिसाल बनीं. भारत में पढ़ाई करने के बाद अमेरिकी एजेंसी में काम करने वाली चावला का यह दूसरा अंतरिक्ष दौरा था.

"कल्पना चावला मर नहीं सकती." अगर गौर से देखा जाए, तो लाखों बच्चियों में नई ऊर्जा और नई कल्पनाएं भरने वाली कल्पना चावला आस पास ही दिख जाएंगी.